(पाठक बंधुओ,
मुझे औद्योगिक क्षेत्र में कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारियां लेनी पड़ी है। इसलिए 'चांदनी' के पुनः उगने में कुछ विलम्ब हुआ। क्षमा कीजिये। आप से बिनती है कि 'चांदनी' का दर्शन ज़ारी रखें। साथ ही हम आशा रखें कि ऐसा विलम्ब, आनेवाली बातों की गंभीरता का कारण बने।)
आपने कबूतर और चींटी की कहानी का आख्यान तैयार किया होगा।
लगता है, आपने भी ऐसा ही लिखा होगा। देखें-
रास्ते के किनारे एक तालाब,
यह कितना बड़ा है!
इस में कुमुदिनी के कितने फूल हैं!
सफ़ेद कुमुदिनी, लाल कुमुदिनी...!
वाह! कितना सुन्दर है!
तालाब पानी से भरा हुआ है।
यह पानी सचमुछ स्वच्छ है।
एक आइने के सामान, आप इस में अपना चेहरा देख सकते हैं।
तालाब के किनारे एक पेड़ खड़ा है,
एक आम का पेड़।
यह तो बहुत बड़ा नहीं है और छोटा भी।
इसकी कुछ शाखाएँ होती हैं।
अधिकाँश शाखाएँ तालाब की ओर झुकी हुई हैं।
अब इन में कोइ आम नहीं है,
लेकिन फूल तो हैं ही, फूलों के गुछे।
एक नहीं, कई गुछे।
इनमें से ताज़ा सुगंध फैल रहा है।
कितना अच्छा सुगंध!
पेड़ की ऊपरी शाखा पर एक घोंसला है।
इसमें एक कबूतर रहता है।
एक छोटा, सफ़ेद कबूतर,
लाल आँखोंवाला।
कितना सुन्दर पंछी!
पेड़ पर कहीं एक चींटी का परिवार भी रहता है-
एक माँ, एक बाप और कई, कई बच्चे!
कितनी चींटियाँ हैं!
एक दिन की बात है।
पिता-चींटी पेड़ की एक शाखा पर बैठा हुआ था।
आम के फूल का सुगंध आ रहा है।
'वाह! सुगंध!' बच्चों ने कहा।
'ठीक है।' माँ-चींटी ने कहा।
'यह कहाँ से आ रहा है, माँ?'
'यह आम के फूलों से है।'
'ज़रूर उन फूलों में मधु है,' बाप ने कहा। 'लेकिन अब हम वहां पहुँच नहीं सकते।'
'कयों?'
'क्या, तुम समझ नहीं सकते, एक घोर हवा बह रही है।'
'प्लीज़ पिताजी। हमें मधु चाहिए।'
छोटों में से एक ने कहा।
'मुन्ना, मैं तुम्हें कैसे वहाँ ले जाऊं? हवा हमें कहीं छोड़ देगी।'
'कया आप उन्हें वह दे सकते हैं?' माँ-चींटी ने कहा।
'ठीक है, मैं कोशिश करूँ।'
वह अपने छोटे पैरों से शाखा पर चलने लगा।
'फूलोंवाली शाखा तक मैं ज़रूर पहुँचूगा।' वह सोचने लगा।
चलते-चलते उसने नीचे की ओर देखा,
वह चलनेवाली शाखा नीचे की ओर झुक रही थी।
'उसने तालाब के पानी देखा।
'अगर हवा चलें तो मैं पानी में गिर जाउंगा।'वह सोचने लगा।
विचारों से वह भयभीत होने लगा।
‘मैं तैर नहीं सकता’।
उसने अपनी आँखें बंध कीं। फिर...
हवा चलने लगी।
बाप-चींटी तालाब में गिर गया।
एक कहानी से आख्यान तैयार करने की रीति से अब आप अवगत हैं।
सोचें- आख्यान तैयार करते समय मूल्राचना से कौन-कौन सी बातें जोड़ दीं?
प्रक्रिया : 3
- कहानी के बाकी अंश को भी आख्यान का रूप देने की कोशिश करें।
- कौन-कौन से अंश जोड़े?
- किन-किन प्रकार के वाक्यों का प्रयोग हुआ है।
- मूल रचना को भावात्मक बनाने के लिए क्या -क्या किया है?
- बच्चों के सम्मुख मूल कहानी और उसका आख्यान प्रस्तुत करें तो दोनों में क्या अंतर होगा?