यह तो खुशी की बात है कि आजकल हमारे स्कूलों में विशेष दिनों को खूब मनाते हैं।
असल में, आचरण के परे प्रत्येक विशेष दिवस बच्चों के लिए विशेष अनुभव ही प्रदान करें, अर्थात दिनाचरण के स्थान पर दिनानुभवों को प्रदान करने योग्य काय्रक्रमों के आयोजन करने का ही प्रयास हो। यह भी सोचने की बात है कि एक दिवस का आचरण उसी दिन पर सीमित रखने की ज़रूरत है, इसकी तैयारियाँ या प्रक्रियाएँ कुछ दिन/कुछ हफ्ते/महीने पहले शुरू कर सकते हैं, ऩ?
- पर्यावरण दिवस को पेड़-पौधे लगाते हैं।
- वाचन की प्रधानता पर ज़ोर देनेवाले भाषण के साथ वाचन दिवस मनाते हैं।
- गाँधी जयंति के दिन स्कूल और और उसके आसपास की सफाई करते हैं।
- चाँद्र दिवस पर प्रश्नोत्तरी चलाते हैं।
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असल में, आचरण के परे प्रत्येक विशेष दिवस बच्चों के लिए विशेष अनुभव ही प्रदान करें, अर्थात दिनाचरण के स्थान पर दिनानुभवों को प्रदान करने योग्य काय्रक्रमों के आयोजन करने का ही प्रयास हो। यह भी सोचने की बात है कि एक दिवस का आचरण उसी दिन पर सीमित रखने की ज़रूरत है, इसकी तैयारियाँ या प्रक्रियाएँ कुछ दिन/कुछ हफ्ते/महीने पहले शुरू कर सकते हैं, ऩ?
अब
हिंदी-बंधुओं
को मौका मिलता है,
प्रेमचंद
जयंती (जुलाई
31)
मनाने
का। एक बैठक में प्रेमचंद के
बारे में चलानेवाले एक भाषण
के साथ यह हम संपन्न कर सकते
हैं। पर इससे क्या फायदा मिलेगा?
एक
महीने के बाद उनके निधन का
दिवस (अक्तूबर
8)
भी
आता है।
प्रेमचंद
जैसे महान साहित्यकार के
व्यक्तित्व एवं कृतित्व और
उनके जीवन-संदेश
को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का
ऐसा अवसर अन्यत्र कहाँ मिलेगा?
जयंती
से शुरू होकर निधन का दिवस तक
चलनेवाली प्रक्रियाएँ क्यों
न तैयार करें।
इसके
लिए कई आशय/धारणाएँ
तय कर सकते हैं। जैसे -
- प्रेमचंद आम-साधारण जनता का कथाकार है।
- प्रेमचंद की रचनाओं में हाशिए पर छोड़े गए लोगों की वास्तविक दशा का चित्रण हुआ है।
- देहाती भाषा को साहित्य में प्रमुख स्थान का प्रयास प्रेमचंद की रचनाओं में हुआ है।
- सामाजिक समस्याओं के प्रति कलम के सिपाही बनकर प्रेमचंद ने लड़ाई की थी।
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ऐसा
एक आशय लेकर बच्चों को इसकी
ओर ले आने की प्रक्रिया चलाएँ
तो भविष्य में भी यह उनके राहों
पर प्रकाश डालेगा।
अन्य
विशेष दिवसों का भी कुछ आशय
तय करें औऱ प्रक्रियाएँ चलाएँ।
प्रेमचंद
के बारे में कुछ जानकारियाँ
इनसे पाएँ,
क्लिक
करें -
जी वहुत अच्छी राय हैं।
जवाब देंहटाएंजोडना चाहूँगा मैं
1. वाद-विवाद की प्रतियोगिता चलाने युक्त सामग्री तैयार करके notice board में दें. छात्र हिंदी साहित्य से परिचय लें.
2. दिनाचरण के सिलसिले में रचना प्रतियोगिता भी करें।
रसाख जी,
हटाएंशुक्रिया।
वाद-विवाद प्रतियोगिता तथा दिनाचरण के सिसिले में रचना प्रतियोगिता चलाएँ, पर ये किसी निश्चित आशय पर आधारित हो।
आजकल गाँधी जयंदी के दिन स्कूलों में बच्चे सफाई का काम करते है।
लेकिन गाँधीजी के महान दर्शनों से परिचय पाने का अवसर इन्हें कहां से मिलेगा?
आचरण कोई भी हो, वह एक आशय पर आधारित हो।
दासा, यह एक अच्छा कदम है। शुक्रिया अदा करता हूँ। इसे अमल में लाने की कोशिश करूँगा।
जवाब देंहटाएंअशरफ जी,
हटाएंआपकी टिप्पणी बिलकुल प्रेरणा दायक है।
प्रेमचंद समारोह पर आनमंङाडु जी.एच.एस. का एक प्रयास अगले अंक में प्रस्तुत करना चाहता हूँ। कृपया उसपर भी आलोचना करें।
शुक्रिया।