कक्षा
12
इकाई1
पाठ
1
मातृभूमि
(कविता)
कवि:
मैथिलीशरण गुप्त
वीडियो
:
विक्टेर्स
चैनेल की ओणलाईन कक्षा
कक्षा
का विश्लेषण
कक्षा संचालन परक
कक्षा
में अध्यापिका की उपस्थिति
छात्रों के लिए प्रेरणा दायक
होना ज़रूरी है। कैसे?
- छात्रों के साथ आत्म-संबन्ध रखने पर ही वे अध्यापिका के प्रस्तुतीकरण पर ध्यान रख पाएँगे। इसके लिए उनसे खुशी भरे चेहरे से बातें करना अनिवार्य होता है।
- कुछ बोलते समय छात्रों के साथ आँखों से संपर्क (eye contact) रखें। इससे कक्षा में सचेत एवं सक्रिय रहने की प्रेरणा छात्रों को मिलती है।
- आम जीवन के बोलचाल में हाव-भाव तथा उतार-चढ़ाव का स्वाभविक मिलन होता है। अपने वातावरण से बच्चे को इसका खूब परिचय मिला है। इसलिए कक्षा के अपने प्रस्तुतीकरण में भी अध्यापिका इस स्वाभाविकता को लाने का प्रयास करें।
इन
बातों पर ध्यान देकर प्रभावी
ढ़ग से कक्षा में व्यवहार करे,
तो
कक्षा संचालन में 75 %
सफलता
मिलेगी।
भाषा तथा प्रोक्ति परक
स्कूली
जीवन के पहले ही बच्चे कविता
से परिचित हैं।
बालगीतों से लेकर जाने-माने
कवियों की कविताओं तक की
व्याख्या तथा विश्लेषण करने
का अवसर बारहवीं कक्षा के
छात्रों को मिला है। पाँचवी
कक्षा से 10वीं
-
12वीं तक
पहुँचने पर छात्रों को कविता
का विश्लेषण करने की क्षमता
ज़रूर मिलना है। तभी कविता
शिक्षण का क्रमिक विकास संभव
होगा। विश्लेषण करने की क्षमता
कैसे मिलेगी?
कविता
के पर कक्षा में अध्यापिका
द्वारा चलानेवाला संवाद इस
उद्देश्य से करना चाहिए। यहाँ
सीधा-सवाल
(direct
question) पूछना
लाभदायक नहीं होगा।
जैसे-
- मातृभूमि के मुकुट कौन-कौन है? (सूरज और चाँद)
- मातृभूमि की मेखला क्या है? (रत्नाकर)
- मातृभूमि के आभूषण क्या-क्या है? (फूल और तारे)
- कवि के अनुसार मातृभूमि किसकी सगुण मूर्ती है? (ईश्वर की)
ऐसे
प्रश्न पूछने से कविता का
आस्वादन संभव नहीं है। छात्रों
को कुछ प्रश्नों के सामान्य उत्तर
मिलेंगे,
बस।
असल में कविता पंक्तियों के
बीच में छिपी रहती है। इस प्रकार छिपी
रहनेवाली कविता को बाहर निकालने
की प्रक्रिया है संवाद। इसलिए
कविता के बहुमुखी आशय को ढूँढ
निकालने योग्य सवाल तैयार
करने का प्रयास करना चाहिए।
जैसे-
- सूरज और चाँद को कवि क्यों मातृभूमि के मुकुट कहता है?
- रत्नाकर मातृभूमि की मेखला कैसे बनता है?
- कवि फूल और तारे को मातृभूमि के आभूषण क्यों कहता होगा?
- मातृभूमि कैसे ईश्वर की सगुण मूर्ती बनती है?
ऐसे
सवालों के उत्तर मिलने के लिए
छात्रों में चिंतन प्रक्रिया
चलने की ज़रूरत होती
है। सीखने में चिंतन प्रक्रिया की महत्वपूर्ण
भूमिका है। चिंतन
प्रक्रिया से छात्रों में
भाषा का विकास होता है,
क्षमताओं
का विकास होता है और
दिमाग का भी। प्रत्येग सवाल
छात्र के लिए चुनौती बनना है।
भिन्न-भिन्न
जवाबों की संभावना भी इन प्रशनों
में है। यह कविता के विश्लेषण
केलिए आवश्यक है। संवाद सफल ढंग से चलने पर छात्रों की भाषा का भी विकास होता है।
निष्कर्ष
12 वीं कक्षा में बच्चों के भाषाई विकास पर बल देने योग्य प्रक्रियाएँ चलाना चाहिए। कविता हो या कहानी हो उसके बहुआयामी वाचन का अवसर बच्चों को मिलना है। संवाद के समय इसके योग्य सवाल पूछना अध्यापिका की जिम्मेदारी है। साथ ही यह भी ध्यान रखने की बात है कि सक्रिय एवं सचेत अध्यापक की कक्षा में ही सक्रिय एवं सचेत छात्र रहेंगे।